1001 वह रात
वह रात में नहीं भूल पाया।
जब मैं तुमसे मिलकर आया।
सोचा था तू है अपनी,
पर तूने समझा मुझे पराया।
वह रात जब मैंने सब कुछ कहा।
अपना दिल खोल के रख दिया।
पर जो चाहता था तुम से सुनना,
वह मैं सुन नहीं पाया।
उस रात के बाद दिन नहीं हुआ।
पीछे पड़ा रहा गम का साया।
जिस पल का रहा आज तक इंतजार
वह फिर कभी ना आया।