सांकेतिक भाषा सीखना जरूरी #100 शब्दों की कहानी#
2 वर्षीय बच्ची मुन्नी सुन न सकने के कारण माता-पिता के साथ सांकेतिक भाषा सीख रही है । वह जैसे-जैसे बड़ी हो रही है, वह कॉलोनी के लोगों को पहचानने लगी है और जो भी उससे मिलने आते हैं उनसे बात करने की कोशिश भी करती है ।
उसके पालन-पोषण में सिर्फ समस्या हो रही थी कि मिलनेवाले लोगों को सांकेतिक भाषा समझती नहीं और छोटी मुन्नी उनकी बातों को सुन नहीं पाती । वे लोग जो उसके दोस्त बन चुके हैं, उन्होंने दोस्ती को कायम रखने हेतु कम्युनिटी कक्षाओं के माध्यम से सांकेतिक भाषा सीखने का निर्णय लिया है।