जिंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि #100 शब्दों की कहानी#
१९९० में वाणिज्य संकाय में लेखाशास्त्र से संबंधित विषयों के साथ एम.कॉम. उत्तीर्ण करने के पश्चात तुरंत ही मुझे केंद्रीय कार्यालय में नौकरी करने का अवसर मिला, मैं वाणिज्य की विद्यार्थी होने के कारण मेरे मन में ऐसा लगता था कि मैं कार्यालय में कार्य कर पाऊंगी या नहीं । लेकिन मैने प्रशासन एवं हिन्दी राजभाषा का कार्य कुशलता पूर्वक करते हुए कार्यालय में २६ वर्ष अपनी सेवाएं दीं ।
इस दरम्यान स्वास्थ्य की परेशानी के चलते मुझे नौकरी से त्यागपत्र देना पड़ा, एक पल मुझे लगा कि मेरी लेखनी थम गई । परंतु मैंने सकारात्मक सोच के साथ जीवन में शिक्षा और नौकरी से प्राप्त अनुभवों के आधार पर अपनी खोई हुई रूचि को जागृत करते हुए लेखनी के माध्यम से कविता, कहानी एवं लेख लिखना प्रारम्भ किया और मेरे पहले ही लेख को सभी पाठकों द्वारा पसन्द भी किया गया तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, और “यही सच्चे पल मेरे लिए जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है ” ।