? मित्र कैसा हो?…?
?? सच्चा मित्र ??
✏विधान-16-12(सार छंद)
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मित्र बनाओ फूलों जैसे, उर की बगिया महके।
मित्र बनाओ पंछी जैसे, जीवन नित-प्रति चहके।
मित्र बनाओ कलम सरीखा, सृजन करे गुणशीला।
मित्र बनाओ रंग-बिरंगे, जीवन हो रंगीला।
मित्र बना लो सरस पुस्तकें, ज्ञान बढ़ाओ अपना।
मित्र बनाओ सकल चराचर, पूरा हो हर सपना।
कृष्ण बनो जब मिले सुदामा, पूरी कर दो आशा।
हनुमत जैसे मित्र बदलते, रिश्तों की परिभाषा।
अर्जुन जैसे मित्र सारथी, यदुनंदन बन जाते।
कपिभूषण के मित्र रामजी, बाली मार गिराते।
मित्र बने लंकेश विभीषण, राम-नाम गुण गाए ।
परम् मित्रता-भाव जान हरि, साग विदुर घर खाए।
जान-परखकर मित्र बनाओ, यही नीति का कहना।
अज्ञानी यदि मित्र बनाया, दुख पड़ता है सहना।
हित-अनहित जो साथ निभाए, सच्चा मित्र कहाता।
सुख में दुख में बात न टाले, रखे नेह का नाता।
सच्ची राह दिखाने वाला, जीवन का उपकारी।
बिन स्वारथ जो करे मित्रता, मित्र वही सुखकारी।
‘तेज’ जगत के तूफानों में, पकड़ हाथ नहि छोड़े।
कठिन समय जब हो जीवन का, मित्र न मुँह को मोड़े।
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✏तेज