? मातृ वंदना ?
? मातृ वंदना ?
???मधुशाला छंद???
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माँ ममता-मय मंत्र मोहिनी,मधुरिम मंगल मनका है।
सुख-समृद्धि शक्ति सरूपा,सुंदर सुलभ सुजनका है।
भरण भाव भारी भर-भरके,भव्य भवन भरवाती है।
जब-जब जीवन जागा जगमें, जननी जग- जगजनका है।
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माँ केवल एक शब्द नहीं है,अपितु स्वयं जग-रूपा है।
माँ सृजक है माँ पोषक है,माँ ममता की कूपा है।
प्रकृति अवतरित हो आती है,वेश लिये जब नारी का।
दुर्गा काली चामुंडा-सी,माँ ही शक्ति-सरुपा है।
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धरणी पर आधार सृष्टि का,केवल माता होती है।
तन-मन-धन जीवन है माता,माँ नैनों की जोती है।
कोटि-कोटि वंदन है माँ के,परम अलौकिक रूपों को।
शक्ति-पुंज माँ जग कल्याणी ,जीवन-माल पिरोती है।
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पावन परम् पुनीत प्रणेता,परमेश्वर-प्रति पोषी-सी।
सुरभित सरस-सरल सरिता-सी,सकल सुखद सन्तोषी-सी।
तेरा तेज तमस तल तारे,तपित-तृष्ण तनु-तन्द्रा-से।
अद्भुत अनुपम अवतारी अरु,औगुन अपि अवशोषी-सी।
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?तेजवीर सिंह ‘तेज’✍