? गुरु वंदन ?
? गुरुपर्व की अनंत मङ्गल कामनाएं ?
?? पवन छंद ??
?शिल्प~
[भगण तगण नगण सगण]?
(211 221 111 112)
12 वर्ण प्रति चरण,यति{5,7}
4 चरण,2-2 चरण समतुकांत।
मात हमारी, गुरुवर तुम हो।
मानव को ज्यों, सरवर द्रुम हो।
दास सदा ही, चरण पखरता।
मात तिहारा, सुमिरन करता।।
आप गुरु हो, प्रथम जगत की।
खान सदा ही, तप अरु सत की।
घोर हरे जो, तम रत मन में।
दीन्ह विधाता, निज छवि जन में।
आपहि माते, कलिमल हरतीं।
आप सदा ही, मति मन भरतीं।
‘तेज’ निखारो, हर तम मन के।
दास पुकारें, तव चरणन के।।
??????????
? तेज मथुरा✍