?”सत्ता और रसोई”का”व्यंग्यात्मक संबंध”?
“रसोई और सत्ता”का”व्यंग्यात्मक संबंध”
प्याज ने हमसे दिल्ली छीनी,
टमाटर तू…..
लाल-किला छीन न लेना,
समझ नहीं आया तेरा व्यवहार,
ऊपर से आया दीवाली का त्यौहार,
हरियाणा मिल गया,
गम नहीं जो गया पंजाब,
जो समझ न सके दाल तेरा मिजाज
GST ने लाज़ बचाई है,
जो मिल गया हारा हुआ बिहार,
नोटबंदी बड़े काम की निकली,
जो फतह किया आधा हिंदुस्तान,
म.प्रदेश और गुजरात में …
हो नहीं सकती है किरकिरी हमारी
पहले से ही है जो सरकार ….हमारी,
चेहरे विजयी अपने से लड़वा देंगे चुनाव,
जनता को सत्ता पलटने के हर कोण से समझाऐंगे वोट आखिर हम ही पाऐंगे,
ऐसी ऐसी जगह उभर हम आए है,
राष्ट्रपति उप-राष्ट्रपति अपना बनाए है,
जो पूर्ण बहुमत से आएं है…..।।