? हाँ हम भी प्रकृति संरक्षण कर सकते हैं ?
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
एक अबोध बालक : अरुण अतृप्त
प्रकृति पर्यावरण का संरक्षण कुछ यूं भी हो सकता है
चाहने वाले दिल चाहिए , चाहत से सब कुछ हो सकता है
किसने कहा है कि आप प्रकृति संरक्षण हित में अपनी परवाज़ रोक लें
किसने कहा है कि आप इस मुद्दे पर विचार करना ही छोड़ दें
किसने कहा है पर्यावरण की बात चले तो विमर्श को त्याग दें
किसने कहा है कि विकास के लिए आपका साथ नही माँगा जाएगा
हम तो कहते हैं आपके बिना कोई भी काम नही हो पायेगा
अब चित्र के अनुरूप सोचने वाले आपकी समझ से कोई दूसरी दुनिया से लायेगा
तकनीक का प्रयोग होगा तो रास्ता आखिर किसी को भी मिल जाऐगा
बुद्धिमत्ता को खोजोगे तो बुद्धि मानो की कहीं भी कोई कमी नहीं
मैं न कहता था ध्यान से चलोगे तो कोई न कोई हल निकल ही आऐगा
अब लापरवाही से कोई काम नही चलने वाला ये बात आपसे बेहतर कौन समझ पायेगा।।
प्रकृति पर्यावरण का संरक्षण कुछ यूं भी हो सकता है
चाहने वाले दिल चाहिए , चाहत से सब कुछ हो सकता है
किसने कहा है कि आप प्रकृति संरक्षण हित में अपनी परवाज़ रोक लें
किसने कहा है कि आप इस मुद्दे पर विचार करना ही छोड़ दें
आओ मिलकर देश दुनिया के हित की सोचना शुरू करते हैं हम
आओ मिल कर पर्यावरण संरक्षण की बात को सभी से सांझा करते हैं हम
आओ मिलकर अब बिगड़ती बात को संवारने के लिए एक जुट हो जाएं हम
अपने अपने देश की सीमाओं में रह कर ये शपथ लेते हैं हम
कि अब हम में से कोई भी न प्रकृति का दोहन करेगा ,
प्रभु प्रदत्त साधनों का ही अब समझदारी से उपयोग करेगा ।।