💐💐💐न पूछो हाल मेरा तुम,मेरा दिल ही दुखाओगे💐💐
न पूछो हाल मेरा तुम,मेरा दिल ही दुखाओगे,
दास्ताँ-गो हो तुम केवल,मेरे किस्से बनाओगे,
किस बात की ख़ातिर छिपे बैठो हो पर्दे में,
पता है पैबस्त हो तुम दुनिया के जर्रे जर्रे में,
कभी क्या इस नाचीज़ पर भी, अपने गुल खिलाओगे,
न पूछो हाल मेरा तुम…………………………
मुझे मालूम है तुम हो अज़ीम मददगार,
ज़िक्र भी तेरा ही हो, ऐसा हूँ तेरा तलबगार,
जज़्ब बनता हुआ तेरा, तस्दीक़ कब जताओगे,
न पूछो हाल मेरा तुम —————————-
रखा है मैंने अपने इस दिल को गिरवी तेरे पास,
अज़िय्यत फिर भी देते रहे तुम थे कितने खास,
राहें तो कठिन हैं मेरी, हाथ कब बढ़ाओगे,
न पूछो हाल मेरा तुम…………………….
©अभिषेक: पाराशरः
दास्ताँ-गो-=कहानी सुनाने वाला
अज़ीम=महत्वपूर्ण, बड़ा
तस्दीक़=confirm
पैबस्त=अन्दर तक समाया हुआ।
अज्जियत=दुःख