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22 Apr 2022 · 1 min read

💐💐सामाजिक: चेतना💐💐

सामाजिक: चेतनायाः व्यापक: अनुचिंतनम् अनुशरणं वा मानवमात्रस्य बुद्धित्वस्य परिमाणं सूक्ष्म: व्यवहारे निर्भरः सन्निहित: वा। नो चेत् यदि महापुरुषाणाम् उपदेशानां सम्यक् अनुपालनं कुर्वन्तु निश्चित् समाजस्य बहुवः समस्यानां सुष्टु निष्पादनं निवारणं व भविष्यति।तु एतस्य कृते ” तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया’इति माध्यमेन येन केन प्रकारेण तेषां व्यवहारः ज्ञातुं तेषां संगत्या विशेषः भावेन ग्रहण कुर्यु:।

न जी भर के देखा न कुछ बात की,
बड़ी आरजू थी मुलाकात की।
– बशीर बद्र

©अभिषेक: पाराशरः

Language: Sanskrit
Tag: Quotation
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