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23 Apr 2022 · 1 min read

💐💐सत्संगस्य भावना💐💐

सत्संगस्य एकं-एकं क्षणं जीवनं पुण्य: लाभेन् सह आत्मीय: आनन्दस्य अनुभूति: कर्ता: सिद्ध: भवति तथा एतस्य सम्यक् मननं चिन्तनं च सात्विक: आचरणं अपि एतस्य महानतां सिद्ध: करोति।महानताया: निकष: तदा सिद्ध: भवति यदा वयं एतस्या: सिद्धत्वस्य कृते जनान् प्रेरित: कुर्वन्तु। एतस्य कृते जनेषु सुष्ठु व्यवहारस्य आवश्यकता।परं यदि एतादृश: न स्यात् तु सत्संगस्य महिमा स्वयं एव क्षीणतां प्राप्त: भविष्यति।निर्वाहनं उचितं नो भविष्यति यदि सत्संगं आत्मसात: न अक्रियते।

“बिनु सत्संग विवेक न होई, राम कृपा वा सुलभ न होई।।”

मकतब-ए-इश्क़ का दस्तूर निराला देखा,
उस को छुट्टी न मिले जिस को सबक़ याद रहे ।।

-मीर ताहिर अली रिज़वी

©अभिषेक: पाराशरः

Language: Sanskrit
Tag: Quotation
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