💐सुरक्षा चक्र💐
डॉ अरूण कुमार शास्त्री 💐 एक अबोध बालक💐 अरुण अतृप्त
💐सुरक्षा चक्र💐
आस्था के पथ को मैं
हर दिन निहारता हूँ
फिर नाम लेकर ईष्ट का
उनको पुकारता हूँ
सम्बल मिला करता है
हर कार्य के सुयोग का
इस तरह से मैं अपने
निर्णय निखारता हूँ
प्रति कार को हूँ समर्थ
या के नहीं , पर मैं
दृष्टि कौण रख संतुलित
लेकर इसी मार्ग से गुहारता हूँ
दिव्यता का मुझको
हर वक़्त ही सहारा
इक पल भर भी हूँ अकेला
ऐसा न क्षण गुजारा
मेरे राम की दया से
हर काम हो गया है
करते हैं सब कन्हैया
मेरा नाम हो रहा है
दुनिया में जब मैं आया
कोई वस्तु न साथ लाया
इतना दिया मेरे दाता
घर भर न जो समाया
आस्था के पथ को मैं
हर दिन निहारता हूँ
फिर नाम लेकर ईष्ट का
उनको पुकारता हूँ