💐नव ऊर्जा संचार💐
डॉ अरुण कुमार शास्त्री 💐
एक अबोध बालक 💐अरुण अतृप्त
💐नव ऊर्जा संचार💐
भोर भई नित जगत जगा
पक्षी चहचहाने लगे
ऊर्जाएं नवजीवन की
मन में कुलवुलाने लगी
थे रात जो सोये
उदासी से भरे
नव उत्साह से कोशिश
दोहराने लगे
थक कर नियति को
सुनना पड़ा उनका श्रम गान
मिले श्रमिकों को
उनके पसीने के नए सोपान
भोर भई नित जगत जगा
पक्षी चहचहाने लगे
ऊर्जाएं नवजीवन की
मन में कुलवुलाने लगी
वेदना होकर तिरोहित
आशायें जगी
कर्म को सम्बल मिला
उत्साह संवर्धन होंने लगा
भोर भई नित जगत जगा
पक्षी चहचहाने लगे
☝️☝️