?साँप पलते है?
?साँप पलते है?
क्या बताये उनको जो सब जानकार भी अनजान बनते है,,,,
क्या कहे उनसे जो अक्ल से उल्लू पर शक्ल से इस इंसान लगते है,,,,
समझते नही किसी की दिली हालात को,,,,
बस अपनी अकड़ और शान में सबको सनते है,,,,
कोई एक दिन की बात हो तो सह भी ले,,,,
वो तो दूर होके भी और दूर दूर से हमसे तनते है,,,,
कभी हालात की आड़ लेते कभी दूसरों की जुगाड़ लेते है,,,,
न जाने क्यों मेरे जख्म नही दिखते सिर्फ अपनी खरोच गिनते है,,,,
मानता हूं कि कई गुस्ताखि कर चुके हम,,,,
पर आप दूर जा रहे हो वो नजदीकियों के पल खलते है,,,,
सिर्फ एक मनु ही नही खराब दुनिया मे यारो,,,,
कुछ आपकी अपनी आस्तीन में भी साँप पलते है,,,,
मानक लाल मनु,,,,
सरस्वती साहित्य परिसद,,,,