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1 Feb 2022 · 1 min read

?️चाह?️

सांझ का दीपक जलाना चाहती हूं
भाव मन के गुनगुनाना चाहती हूं

चाहती हूँ दर्द को निस्तार कर दूं
राग मैं मल्हार गाना चाहती हूँ।

न रुका है न रुकेगा कारवां यह
हर घड़ी मैं मुस्कुराना चाहती हूँ।

हाथ में लेकर समय पतवार को मैं
सागर में कश्ती चलाना चाहती हूँ।

शूल हो चाहे धूल हो जीवन डगर में
हौंसले से पग बढ़ाना चाहती हूँ।

हो शहीदों के लिए हर साँस मेरा
सिर शहीदों को झुकाना चाहती हूँ

गीत तो बहुत लिखे गए,गाये गए हैं
मैं तो भारत भूमि का यश गान गाना चाहती हूँ।

Language: Hindi
2 Likes · 296 Views
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