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6 Feb 2018 · 1 min read

?गरीबी

?गरीबी

गरीबी कैसे लडू
तुजसे ??
इस चकाचौंध के,
बाजार में ।
तन्हा, अकेला नहीं हूँ,
संसार में

जरूरतें पूरी ही नहीं,
हो पाती
ख्वाहिशें गणिकाओं-सी
लूटती बाजार में

लाचारी बता नहीं पाता
बीबी बच्चों को,
बोलकर झूठ
मौन रह जाता हूँ।

घंटो खोजता हूँ,
जो मेरे बस का है
औकात से ज्यादा
कहाँ देख पाता हूँ

फेहरिस्त लंबी है ,
बच्चों के कोमल मन की
राह चलते,
हिसाब लगाता हूँ।

बीबी कहती है,
“बनियान खरीद लो”।
खरीदेंगे …!!
यूँ कह के टाल जाता हूँ।

बैठा लेता हूँ,
जरूरतों की गणित
लगाता हूँ दम होने खड़ा
कि धम्म से बैठ जाता हूँ।

हर तरफ यहाँ
दिखावे की होड़ है।
दलदल में कुरीतियों की,
फंसता ही जाता हूँ।

गरीबी कैसे लडू
तुजसे ??
इस चकाचौंध के,
बाजार में ।
तन्हा, अकेला नहीं हूँ,
संसार में ।।

✍Sk.soni?

Language: Hindi
1 Like · 269 Views
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