?किसानों के बोल?
?किसानों के लिए?
क्यो बातो का बतंगड़ बनाते है लोग,,,,
खाके पेट भर उपवास का ढोंग रचाते है लोग,,,,
यहाँ पेट खाली है 2दिन से फिर न खाना खिलाते है लोग,,,,
क्या पता क्या कमी है मेरे काम में मेरा खा के मुझी पे गोली चलाते है लोग,,,,
धर्म,जाति,दल,न किस किस नाम से मुझे बुलाते है लोग,,,,
कभी मेरी बंजर जमीन देख लेते जो बंगले में रहके इतराते है लोग,,,,
हर दौर में मेरा ही उपयोग करते मिले सायद फल बाली डाली को ही पत्थर मारते और झुकाते है लोग,,,,
दाता तो कहते अपनी जुबान से पर में मांगू तो आंखे दिखाते है लोग,,,,
कभी आते है मेरे गाँव 5साल में आके सर माथा ठिकाते है लोग,,,,
उनकी चमक और मेरी फीकी शक्ल का अंतर क्यो नही समझ पाते है लोग,,,,
मनु की बात इतनी है जिसका खाते उसको ही लजाते है लोग,,,
मानक लाल मनु,,,??