?? गुलामी ??
?? गुलामी ??
रामलाल का राजू अपने ही गांव में अच्छी शिक्षा लेकर नौकरी करने लगा । आधुनिक जीवन शैली से चमख-दमक आने लगी ।
सिनेमा, किताबें, फैशन की किताबें पढ़ने से नयी सोच के कारण नयी जींस, टी शट॔ , दाढ़ी , मूछें व काला-काला चश्मा पहनकर हिरोगीरी से रहने लगा । लेकिन कभी किसी को दुर॔भावना से अपशब्द नहीं कहे, सभी गांव वालों का सम्मान कर अपनी मेहनत से कमाता व परिवार के साथ आनंदमय रहता।
रामलाल अपने बच्चों के पढ़ाई के लिए पहले गांव के जमिनदार के यहाँ नौकरी करता था । सुबह से आधी रात होने तक अन्नदाता के यहाँ ही काय॔ श्रम करना उनका जीवन रह गया था। लेकिन बच्चों की शिक्षा ने रामलाल को गुलामी के उस दलदल से बहार निकाला और अपने ही घर पर मेहनत काय॔ कर खुशहाल जिंदगी जीने लगा।
यह बदलाव से गांव के जमिनदार के पुत्र विचलित हो गये । हमसे यह कैसे आगे हो गये। हमारे यहाँ काय॔ करने नहीं आ रहें है। हमारी गुलामी भी करना नही चाहते। हमारी ही नकल करने लगे। हम ही वीर है, मूछें, दाढ़ी रखना हमारा शोय॔ है । एक दिन राजू आॅफिस जा रहा था । जमिनदार के पुत्र को राजू की दाढ़ी, मूछें रखना अपने शान के खिलाफ लगा और उससे रहा नहीं गया और राजू को बातों में उलझा कर डंडे- डंडे से पिटाई कर दी। लहू-लुहान कर दिया, अधमरा होने तक मारता रहा । मीडिया, पोलिस सभी आ गये । बयान बाजी, नेतागिरी, आरोप- प्रत्यारोपण होने लगे । राजू आज भी अकेला महसूस करता है? कैसे गांव में रहे जाना तो मुझे आॅफिस अकेला ही है। बड़ी विचित्र स्थिति है गरीब के लिए शिक्षा। मै गरीब व गुलामी ही करता रहूँ आज भी वही मानसिकता गांव में बरकरार है।
@कापीराइट
राजू गजभिये (RG)