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19 Apr 2022 · 1 min read

🌺🌺श्रेष्ठचिन्तनम्🌺🌺

तु श्रेष्ठचिन्तनं त्यजन्तु।किम्।किम् अन्यदुष्टा: जनाः आस्मान् भावान् परिवर्तनं कर्तुं शक्नोति? केवलं कदा।यदा वयं निश्चितरूपेण केचित् दुर्गुणा: स्वस्वीकार्यतां प्रदानं कृतवन्तः।तु ते समयस्य अवध्या स्वानां गृहनां शनै: शनै: निर्माण कुर्वन्ति।वयं अपि तेषां प्रकोपे स्वविवेकस्य त्यजन्ती।परं केवलं तैव स्व रक्षां कुर्वन्ति ये सर्वदा स्वान् जागृत भावेषु स्थापयति।

जो रहीम उत्तम प्रकृति का कर सकत कुसंग
चन्दन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग।।

©अभिषेक: पाराशरः

Language: Sanskrit
Tag: Quotation
1 Comment · 133 Views

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