? पहेली है ज़िंदगी? कविता
ये ज़िंदगी अविराम है !
बहती नदी,
समय की घड़ी
अनंत की ओर परिवर्तनशील
परिवर्तन का नाम ज़िंदगी है…
कभी सरस- सरल,
कभी मीठापन,
कभी नीरस
हर दिन- पल दो पल
अनुभव ही तो है ज़िंदगी…
अनगिनत मोड़,
काँटो की डगर,
कभी फूलों की शहर,
कभी उड़ान,
कभी परेशान
अनसुलझी पहेली है ज़िंदगी…
खुला आकाश,
टिम- टिमाते तारे,
श्याम घटा,
सतरंगी इंद्रधनुष ,
पतझरों का मौसम,
बसंत का आगमन,
नव मधु सावन,
जादुई दुनिया
खिड़की से झाँकती हुई
सारे नज़ारे चुपके से
स्वप्न है ज़िंदगी..
कवि:दुष्यंत कुमार पटेल”चित्रांश”