?? लालची ईन्सान ??
?? लालची ईन्सान ??
विलक्षण प्रतिभा संपन्न व धन , प्रतिष्ठा, पद , वैभव एवं जाति का कुट-कुट कर भरा हुआ अंहकार लालची ईन्सान में भरा हुआ था । अपनी लालची मीठी- मीठी वाणी से व लालची वादे करकर व्यक्तिओ पर ऐसा प्रभाव और मोहिनी जादु चलाना की व्यक्ति लालची की बात काट न सके और गलत भी होगा तो भी सही ही कहना पड़े।
एक दिन भगवान उसके इस काय॔ से बहुत प्रसन्न हुए। उसे वरदान मांगने को कहाँ। लालची ईन्सान खुश होकर वरदान मांगने लगा –
मुझे सभी तरह की सुख-सुविधा चाहिए- भगवान ने वरदान दे दिया।
मुझे सभी विभाग, सभी लोग मेरे काय॔ प्रणाली से काम करना चाहिए- भगवान ने वरदान दे दिया। लालची ईन्सान को तीसरा वरदान मांगने को कहाँ- मुझे सर्वश्रेष्ठ पद (सबसे ऊपर) वरदान दे दिया। भगवान सोचने लगे क्या लालची ईन्सान है सब कुछ होने के बाद भी उसकी सत्ता की भूख एवं लालची मन की भूख समाप्त नहीं हो रही हैं ।
लालची को भगवान बोले आपको
सव॔श्रेष्ठ पद (सबसे ऊपर) दे दिया लेकिन आपको हमेशा-हमेशा नीचे देखना ही पड़ेगा।
@कापीराइट
राजू गजभिये