?? माईन्ड गेम ??
?? माईन्ड गेम ??
मोहन भाई और श्याम भाई दोनों बहुत खुश नजर आ रहे थे।
क्योंकि दोनों जादूगर के समान अपने माईन्ड गेम से पूरा गेम ही
अपने पाले में करते थें।
वह कैसे भाई ….
बहुत सरल हैं भाई , मोहन भाई का गेम …..
सबसे पहले ऐसे सदियों से मांगने वालों को दरकिनार करों , मांग खत्म करों , उनके मांग में दरार डालों। उसके बाद मांगने वाले तिलमिलाहट हो गये कि ऊपरवाले खुश फिर श्याम भाई का गेम …..
यह कैसे हो सकता है, ” मांगने वालों की मांग हमेशा-हमेशा मिलते ही रहेगी ….. ।
यह दो शब्द बोल दो …. यह कभी खत्म ही नहीं हो सकती? अब मांगने वाले खुश …..।
वाह …. ! वाह …. ! क्या बात है,
कमजोर करों तो ऊपरवाले खुश ….
हमेशा-हमेशा मिलतीं रहेंगे बोल दो तो नीचे वाले खुश …. ।
ऊपरवाला-नीचेवाला को खुश करते रहों , जो मुलभुत आवश्यकता उसे फुस्स करों ।
क्या दग़ा, क्या साज़िशों का
माईन्ड गेम है भाई।
@ कापीराइट
राजू गजभिये
दश॔ना मार्गदर्शन केन्द्र बदनावर
जिला धार मध्यप्रदेश