?बैलगाड़ी दौड़ ?
बहुत ही जोर तोड़ से तैयारी चल रही थी | लोग बहुत ही खुश थे, बच्चे बूढ़े जवान युवा सभी ग्राम वासियों ने एक उत्साह सा छाया हुआ था |आखिर दो गाँव के युवा सरपंच हर बर्ष की तरह बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिता करा रहे थे |जिसने समाज सेवी एवं मुख्य नेता भी आमंत्रित किये गये थे दौड़ का प्रचार प्रसार बहुत ही तेजी से हो रहा था दोनो ग्रामो के दौड़ प्रेमी गाँव गाँव जाकर दौड़ प्रतियोगिता का पंपलेट बाँट रहे थे |मे विद्यालय मे बच्चो को पढ़ा रहा था एक बालक बोला सर हमारे गाँव मे बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिता हो रही है मैने बचपन मे केवल एक ही बार दौड़ प्रतियोगिता देखी थी लेकिन बो मुझे याद नही थी मेरा भी मन हुआ दौड़ प्रतियोगिता देखने का इतने मे विद्यालय मे माननीय सरपंच महोदय आये मै उनके पास गया उन्होने मुझे दौड़ प्रतियोगिता के बारे मे जानकारी दी कि 2फरवरी 2018 को प्रतियोगिता है बहुत दूर दूर से बैलगाड़ियां आ रही हैं आप को भी आना होगा मै उन्हें मना नही कर सका आखिर मेरे मन मे भी दौड़ के लड्डू फूट रहे थे | मैनें झट से हाँ कर दी, समय नजदीक आने लगा लोग नये नये बहुत ही दौड़ने बाले बैल खरीदने लगे, सभी ग्राम वासी खुश थे | मै जब विद्यालय जाता तो मुझे रास्ते मे बहुत ही सुंदर सुंदर बैल नजर आते जाते दिखाई दिये लोग बैलो की बहुत ही देखभाल कर रहे थे कभी सुबह कभी शाम बैल आते जाते दिखाई दिये लोगो की झुंड बनाकर दौड़ प्रतियोगिता की चर्चा करते नजर आ रहे थे|
आखिर बो दिन आ ही गया स्कूल मे बहुत ही कम बच्चे आये हुये थे जब बच्चों से पूछा तो उन्हें बताया कि सर आज बैलगाड़ी दौड़ है, मैने कहा चलो अच्छा ही नन्हें नन्हें बच्चो की भी इच्छा होती है |मे कक्षा मे पढ़ाने लगा तभी अचानक मेरे मित्र लोग आये और वाले अरे यार कृष्णकांत भाई हम यहां पर बैलगाड़ी दौड़ देखने के लिये आये हैं मैने विद्यालय के सभी शिक्षको से कहा और उनके साथ दौड़ के मैदान मे पहुँचा | बहुत ही भीड़ थी बहुत दूर दूर से लोग आये हुये थे तभी मेरी नजर एक झुंड पर पड़ी लोग बैलो को बहुत ही मार रहे थे, कोई कोई शराब पिला रहे थे, कोई घास भी खिला खिला कर मार रहे थे मुझे देखा नही गया मे आगे कि ओर बढ़ गया बहुत ही सुंदर सुंदर प्यारे प्यारे बैल दुख रहे थे, मैने इतने सुंदर सुंदर बैल अपने जीवन मै कभी नही देखे थे | तभी दौड़ शुरू हो गई लोग देखने के लिये भागा मै भी भागा तभी मैने देखा कि बहुत से लोग बैलो को कसाई की तरह मार रहे थे बैचारे बैलो के लहू की धार बह रही थी | तभी गाडियां दौड़ने के लिये तैयार हो गई झंडी गिरी बैल दौड़ने लगे तभी एक बैलगाड़ी के बैल लोगो की तरफ छड़क कर भागा लोगो मे भगदड़ मच गयी एक आदमी के ऊपर बैलगाड़ी चढ़ गई बेचारा खून खच्चर हो गया पैर टूट गया |
तभी मुझे लोग दूसरी तरफ भागते हुये दिखाई दिये बहा पर एक बैल ने एक बच्चे को मार दिया था चारोओर चहल पहल था लोग अपनी अपनी जगह बनाकर मजा ले रहे थे कोई पैड़ो पर कोई गाड़ी पर कोई ट्रक पर मै जाकर मंच के पास कुर्सी पर बैठ गया मुझे एक बालक ने पानी दिया पानी पिया तभी एक आम के पेड़ की डाल टूट गयी जिस पर लगभग दस पंद्रह लोग बैठे हुये थे कुछ लोग नीचे उसके नीचे खड़े हुये थे बैचारे दो चार लोग घायल हो गये और एक बालिका का हाथ टूट गया मुझे बहुत दुख हुआ |
और इधर बैल गाड़ी दौड़ रहे थे तभी एक बैल का पैर आगे वाली गाड़ी के पहिया मे घुस गया और बेचारा बैल धुसड़ गया बैल का पैर टूट गया उसे बहुत तकलीफ थी उससे चलते नही बन रहा था तीन पैर से चल रहा था उसकी आँखो से आँसू बह रहे थे मगर बेचारा मूँक जानवर था कर भी क्या सकता है | बैचारे इतने सुंदर बैल की जिंदगी खराब हो गयी मेरा मन बहुत ही बिकल था तभी नेता का आगमन हुआ लोग स्वागत मे जुट गये बाह बाह लूटने लगे | तभी मुझे एकओर फिर लोग दौड़ते दिखाई दिये वहाँ पर एक आदमी को लोग घेरे हुये खड़े थे बह हैहेय पड़ा था उसकी गर्दन पर से गाडी का पहिया चढ़ गया था तभी पुलिस आई पर उसे अस्पताल ले गयी अब क्या पता बचा होगा या रामप्यारा हो गया होगा भगवान जाने|और भी दौड़ मे कई घटायें हुयी मगर मेरा मन और लिखने का नही कर रहा कलेजा फट रहा है |दौड़ का परिणाम घोषित हो गया इनाम बाँटी गयी कुछ लोग खुश होकर जा रहे थे कुछ मायूस होकर लोगो की चर्चायें खत्म ही नही हो रही थी धीरे धीरे भीड़ खत्म हो गयी लोग अपने अपने घर चले गये मै भी अपने घर आ गया मेरा मन बहुत ही उदास था मन नही लग रहा था दिल फूट फूट कर रो रहा था मै मन ही मन सोच रहा लोग कितने बुरे होते हैं जो गौमाता को कितना मारते है ठोकते है शराब पिलाते है, बेचारी से कसाई की भांति व्यवहार करते है आखिर हमारी भारत भूमि का क्या होगा उन लोगो का क्या हुआ होगा जो दौड़ मे घायल हुये क्या उनके पास इलाज के लिये पैसे होगा क्या होगा उन बैलो का जो दौड़ मे विजय नही हुये मेरा मन बहुत ही फूट फूट कर रो रहा था मेरे पिताजी ने उदासी का कारण पूछा सब दौड़ हाल बताया फिर पिताजी ने मुझे समझाया और हम लोगो ने खाना खाया और अपने अपने काम मे लग गये बस मेरी आपसे एक प्रार्थना है कि कभी बैलगाड़ी दौड़ न कराये और न ही देखने जाये और न ही सहयोग करे सभी को राम राम
आपका अपना कृष्णकांत गुर्जर
धनौरा तह. -गाडरवारा