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5 May 2017 · 1 min read

? बेटी का चिंतन ?

???बेटी का चिंतन ???
??????????

जीवन की पुस्तक में ढूंढे रिश्तों की परिभाषा।
बेटी बनना चाहे सबके जीवन की अभिलाषा।
पाती है चंहुओर घोर तम हानि-लाभ की आशा।
हाय विधाता क्यों तुमने निर्मित की दूषित
भाषा?
जीवन की पुस्तक में…..

सत्कर्मों का पुण्य उदय हो तब बिटिया मिल पाती।
अपने शुभ चरणों से घर में सुख-समृद्धि लाती।
रुग्ण- हृदय में कोमलता का मधुरिम हास जगाती।
मानव के हित आई हो जैसे ईश्वर की पाती
फिर भी पग-पग झेल रही है कटुता भरी निराशा।
जीवन की पुस्तक में…..

ढूंढ़ रही कटु से प्रश्नोत्तर पर कुछ डरते- डरते।
भ्रूण-हत्या है पाप इसे सब जानबूझ क्यों करते?
बेटी भी तो जीव-जगत का क्यों नहीं विपदा हरते?
जीवन की सुंदर बगिया में कांटे बो-बो धरते?
अत्याचार सहे बनकर के क्यों शतरंजी -पासा
जीवन की पुस्तक में…..

बहू सुलक्षण सभी चाहते पर बेटी नहीं जनते!
ढोल पीटकर आदर्शों का महिला-वादी बनते !
संस्कारों की जनक-सुता के अधिकारों को हनते!
संस्कृति कर नष्ट अहम की मक्कारी से तनते!
क्रूर-कुटिल कलुषित-कुविचारी करते कुमति-कुहासा!
जीवन की पुस्तक में…..

जीवन-मृत्यु चक्र अटल है फिर भी पाप कमाते!
फर्क करें बेटा – बेटी में तनिक नहीं घबराते!
बेटों का गुणगान सदा ही कहते नहीं अघाते!
कुल-तारक घर की लक्ष्मी को नाहक ही बिसराते!
करुणा बरसे तेज नयन से घेरे घोर हताशा!
जीवन की पुस्तक में…..
बेटी बनना चाहे सबके…..

??????????
?तेज 5/5/17✍

Language: Hindi
Tag: गीत
249 Views
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