?भगवान परशुराम?
???मनहरण घनाक्षरी???
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मिलते हैं कभी-कभी
पितृ-भक्त धरा पर
पितृ आज्ञा काट लेत
जननी के शीश कूं।
परशु को धार कर
हर-हर नाद कर
क्षत्रिय विहीन धरा
बार इक्-कीस कूं।
रेणुका कुमार कियौ
सहस्त्रबाहु भंजन
कष्ट हरे धरती के
पूज जगदीश कूं।
ब्रह्मचारी रणधीर
जमदग्न महावीर
जग के आदर्श तेज
भावत गिरीश कूं।
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जमदग्नि-रेणुका के
पुत्र रूप अवतारे
ब्राह्मण वेश क्षत्रिय
आचरण वाले थे।
परम् प्रकृति प्रेमी
पशु-पक्षी पोषक थे
पितृ आज्ञाकारी कुल
वंश रखवाले थे।
धरती को मुक्त किया
रण में इक्कीस बार
कर में कमण्डल औ
परशु निराले थे।
शंकर का तेज शौर्य
छठे अंश विष्णु रूप
भार्गव परशुराम
वीर मतवाले थे।
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तेज28/4/2017