आजादी (स्वतंत्रता दिवस पर विशेष)
“आजादी”
मिली हमें यह देश,
शहीदों के वारिस में;
फिर मिली आजादी,
सन सैंतालीस में।
इस देश पे कुर्बान,
हुए जब लाखों वीर;
तब ही टूटी हमारी,
दासता की हर जंजीर।
अपनी आजादी को,
जब हम करते याद;
हमेशा नजर आते,
भगत, सुभाष,आजाद।
आजादी छीनने को,
हम थे सदा से तैयार;
मगर हमारे बापू भी,
तो थे बड़े ही खुद्दार।
गोरों की औकात तो,
थी यहां कुछ भी नही,
बस काली करतूत से ,
टिके थे वो सब यहीं।
आजादी तो हमसब को,
भले ही मिल गई;
मगर कुछ देशी धरती,
गद्दारों ने गिल गई;
अब सब मिल रक्षा करें इस देश का,
यही है राष्ट्रीय कर्तव्य हमारा।
कोई छुए ना निज सीमा को,
फिर से कभी कहीं भी दुबारा।
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जय हिंद। भारत माता की जय।
….✍️पंकज “कर्ण”
……..कटिहार।।