Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Nov 2020 · 1 min read

️अपनी-अपनी️

✍?हाथ है अपने अपनी सोंच है,
जिन्दगानी की कुछ अपनी ही सोंच है।
पता नहीं मुझे कहाँ ले जाएगी मुझे मेरी कशिश,
फिर भी लिखता हूँ, एक उम्मीद है।
कहते हैं सरफरोश होते हैं ज्जबाती होते हैं, सबकी अपनी अपनी गमोंखुश की हरजाई होती है।
लिखना तो कोई गुनाह नहीं,
सोंच के आँखें नम होती है।
मैंने खोजा है अवकाश में!
काश वो हमारा हो
जग जानता है हमें हमारे नियम को,
फिर कोई क्यों कहे ये तुम्हारा नहीं हमारा है।
निश्छल निर्मल है प्रकृति मेरी,
फिर भी लांछन लग जाते है।
खुद के द्वारा तैयार की गई मेरी अपनी लेख को क्युँ कोई अपना कह लेते, क्यों कोई अपना कह लेते हैं।
पढता हुँ कई पन्नों को मैं, फिर कहीं जाकर मात्र एक पन्ना ही लिख पाता हूँ मैं ।
कशुर मेरी समझ की है, मेरे दोस्त !
हो सकता है, इतना ही सीख पाता हूँ मैं।
चंदन कुमार

Language: Hindi
567 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Stay grounded
Stay grounded
Bidyadhar Mantry
प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी
प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी
Pt. Brajesh Kumar Nayak
*आइसक्रीम (बाल कविता)*
*आइसक्रीम (बाल कविता)*
Ravi Prakash
Girvi rakh ke khud ke ashiyano ko
Girvi rakh ke khud ke ashiyano ko
Sakshi Tripathi
शरद
शरद
Tarkeshwari 'sudhi'
तू जो लुटाये मुझपे वफ़ा
तू जो लुटाये मुझपे वफ़ा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हर राह मौहब्बत की आसान नहीं होती ।
हर राह मौहब्बत की आसान नहीं होती ।
Phool gufran
सरोकार
सरोकार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
"अकेडमी वाला इश्क़"
Lohit Tamta
मूर्ख जनता-धूर्त सरकार
मूर्ख जनता-धूर्त सरकार
Shekhar Chandra Mitra
"धूप-छाँव" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Meditation
Meditation
Ravikesh Jha
"जलाओ दीप घंटा भी बजाओ याद पर रखना
आर.एस. 'प्रीतम'
जिंदगी की पहेली
जिंदगी की पहेली
RAKESH RAKESH
रात क्या है?
रात क्या है?
Astuti Kumari
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
Shyam Sundar Subramanian
dr arun kumar shastri
dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इमारत बड़ी थी वो
इमारत बड़ी थी वो
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मैं भूत हूँ, भविष्य हूँ,
मैं भूत हूँ, भविष्य हूँ,
Harminder Kaur
हौसले से जग जीतता रहा
हौसले से जग जीतता रहा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
विश्व शांति की करें प्रार्थना, ईश्वर का मंगल नाम जपें
विश्व शांति की करें प्रार्थना, ईश्वर का मंगल नाम जपें
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बाल कविता: तितली
बाल कविता: तितली
Rajesh Kumar Arjun
फूल सूखी डाल पर  खिलते  नहीं  कचनार  के
फूल सूखी डाल पर खिलते नहीं कचनार के
Anil Mishra Prahari
*
*"देश की आत्मा है हिंदी"*
Shashi kala vyas
सपने
सपने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अगर जाना था उसको
अगर जाना था उसको
कवि दीपक बवेजा
3194.*पूर्णिका*
3194.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पर्यावरण
पर्यावरण
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
#क़तआ
#क़तआ
*Author प्रणय प्रभात*
💐प्रेम कौतुक-563💐
💐प्रेम कौतुक-563💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...