【20】 ** भाई – भाई का प्यार खो गया **
भाई – भाई का प्यार भेदभावों में, रहकर सिमट गया
भाई को थी कभी जांं न्योंछावर, मिटी हुई अब शर्मो हया
{1} कभी भाई का भाई से रिश्ता, गंगाजल सा होता था
भाई के दुःख में भाई देखो, फूट-फूट कर रोता था
भाई के रहते भाई पहले, निर्भय होकर सोता था
भाई ने भाई से करी लड़ाई, प्यार का गुलशन बिखर गया
भाई – भाई का प्यार…………
{2} भाई – भाई की गरिमा रखने में, क्यों कर असमर्थ हुआ
भाई के दर्द ने भाई के दिल को, ना जाने क्यों नहीं छुआ
भाई – भाई का प्यार बना अब, नफरत और दुश्मनी कुंंआ
भाई ने भाई को बहुत सताया, लेश मात्र नहीं रही दया
भाई – भाई का प्यार ………….
{3} भाई – भाई की खातिर अपनी, जान दिया करता था
भाई – भाई को सब अर्पण में, तनिक नहीं ड़रता था
भाई के कष्ट निवारण को भाई, निःसंकोच मरता था
भाई की भाई को प्यार भरे, शब्दों की अब मिट गई हया
भाई – भाई का प्यार …………
{4} राम, लखन और भरत, शत्रुघ्न, जैसा प्यार अगर होता
दुःख में ना होता कोई भाई, कष्ट से ना कोई रोता
लखन सी सेवा, भरत से त्याग से, कोई न दुःख बोझा ढ़ोता
भाई – भाई में प्रीत बड़ी, समझो रामराज्य फिर से आ गया
भाई – भाई का प्यार ……….
लेखक :- खैमसिहं सैनी
भरतपुर ( राजस्थान )
मो.न. :- 9266034599