【15】 दिल में बसा है हिन्दुस्तान
चाहे हिन्दू कहो या मुसलमान, चाहे सिक्ख, ईसाई का दो मान
मेरे दिल में बसा है हिन्दुस्तान, मुझे बाँटो नहीं तुम सबको है आन
चाहे हिन्दू कहो …………
{1} जाति- धर्म को लेकर कितने, झगडे तुम करवाते हो
आदमी औरत या हों बच्चे, सबको तुम मरवाते हो
किसी को कहते मिलेगी जन्नत, किसी को स्वर्ग बताते हो
पाप की गठरी बाँधके भी तुम, क्यों समझे इसे अपनी शान
चाहे हिन्दू कहो ………….
{2} भ्रम की चादर ओढ़के क्यों तुम, कस्तूरी मृग बनते हो
बुरे का फल होता है बुरा, तुम क्योंकर इतने तनते हो
कुछ दिन का मेला है ये जग, गिरी सोच क्यों बुनते हो
बड़े होकर भी तुच्छ बने तुम, मार दिया अपना ईमान
चाहे हिन्दू कहो ………….
{3} दुनिया छोड़के चले गए तुम, किसको कांटे बोये थे
किसी और को तुम सोचे, तेरे अपने कांटे ढोये थे
मिटा दिया अस्तित्व स्वयं का, कैसे स्वपन संजोये थे
तू अपना रहा न अपनों का, बस बना रहा आखिर बेईमान
चाहे हिन्दू कहो ………….
सीखः- हमें अपने प्राण भी दे कर देश के सम्मान और गरिमा को बचाए रखना चाहिए।
Arise DGRJ { Khaimsingh Saini }
M.A, B.Ed from University of Rajasthan
Mob. 9266034599