【【{{{{ लक ट्वेंटी ऐट कुड़ी दा }}}}】】
दारू,असला,गुटबाज़ी लिख नौजवानों को बहका रहे हैं,
यहाँ कितने ही गीतकार अश्लील लिख लिख नाम कमा
रहे हैं।
एक नाम की शौहरत की खातिर अच्छे अच्छे गानेवाले
कितनी नफ़रत गा रहे हैं,ये छूपे आंतकवादी ही पंजाब में
सरेआम आतंक मचा रहे है।
निकलते हैं बारात लेकर अपनी झूठी शान की,लड़कियां हैं
बेचारी सी इनके गीतों में,आशिक़ी के फेर में ये सारी शरम
जला रहे हैं।
भूल चुके है ये जिमेदारियां अपनी संस्कृति की,कर अपमान
अपनी ही मातृभाषा का,अपनी ही बहु बेटियों की चुनरी हर
गीत में उड़ा रहे है।
मज़ाक बना दिया इन्होंने हीर राँझा की पाक मोहब्बत का,
उतार कपड़े ये हीर के,घर से भगा कर एक बाप की बेटी को,
ये मोहब्बत की जीत दिखा रहे हैं।
फैला रखा है नफरत का जाल अपने चाहने वालों के दिमाग में,
ये नई पीढ़ी को खुद की चमक की खातिर,एक दूसरे से आपस
में उलझा रहे हैं।
सुर ताल बिगड़ चुका इनकी सोच का,खेलना कूदना छोड़ अब
चार चार साल के बच्चे भी,2पैग से लेकर लक ट्वेंटी ऐट कुड़ी
दा गा रहे हैं।