~~【【{{◆◆दम दिलासा◆◆}}】】~~
दिल में उतार कितने ही अरमान रखे हैं,
ख्वाबों में उठा उतने ही आसमान रखे हैं.
ये सोच बहुत गहरी हो चुकी अब फकीरी में,
इश्क़ की जुबान में सब दिलोजान रखे हैं।
कुछ संभाल रखा है हुस्न जवानी का खुद
में,थोड़ी मासूमियत तो थोड़ा मुस्कान रखे हैं।
कुछ जुदा कुछ पास हैं वो लम्हें मेरे,आज भी
आती यादों में बिछड़े सब मेहरबान रखे हैं।
वक़्त बिता कोई पास न आया दम-दिलासा देने,
बेदर्द जिंदगी पे सांसों ने एहसान रखे हैं।
अजनबी से लगते हैं क़रीबी जो साथ हैं अब,
और कितनी देर किस्मत में ये मेहमान रखे हैं।
खामोश चेहरे पढ़ता थक गया हूँ मैं साहिबां,
समझ नही शराफत में कितने शैतान रखे हैं।