【【◆◆एक कलम एक सियाही◆◆】】
एक कलम एक सियाही है,जिस से अब ये
जिंदगी वियाही है.
बड़ा जी लिए जीती जागती दुनिया में,अब
तो महफ़िल सांसों की,सिर्फ तन्हाई है।
कुछ न मिला हमें दर दर की रिश्तेदारी से,
खुद के लफ़्ज़ों ने ही यहाँ यारी निभाई है।
बेकदर,मतलबी है दुनिया की रौनक,हमको
तो चाँद की रौशनी ने ही आशिक़ी सिखाई है।
सुनसान सी लगती है अब ये शोर मचाती भीड़,
सुकून है बहुत जबसे उम्मीदों की टोकरी
जलाई है।
दूर ही अच्छे हैं मोहब्बत की राहों से,दिल लगाकर
तो मिली सिर्फ जग हसाई है।
फूल बनकर खुद फैले थे जिसकी राहों में,मिली
उन कदमों से भी रुसवाई है।
आसान नही था ये कलम का सफर,खुद को काट
काट कर ही कलम की नोक बनाई है।
मजबूर हो गये थे टूटकर,दर्द सीखने को ही ज़ख्मों
पर कलम चलाई है।
जबसे थामा है हाथ में कलम का हाथ,फिरसे जिंदगी
में बहार छाई है।
अजीब ही जादू है एक लेखक के एहसास में,खाली
परछाई पर भी ज़िन्दगी की तस्वीर बनाई है।
सो रही थी इस समंदर में एक ज़माने से एहसास की
लहरें, सांसों की डोर हिली तो,किताबों पर एक
सुनामी आई है।