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10 May 2020 · 1 min read

【【{{{{शरीफ}}}}】】

आज कितने शरीफ एक साथ आये हैं,
मिटाने मेरा नाम नजाने कितने कितने
तरकीब लाए हैं।

इनमें से कुछ अपने भी थे कभी,जो आज
दूसरों के करीब आये हैं।

चढ़ा है नशा नई नई कामयाबी का,निकलती
न थी आवाज़ कभी मुँह से जिनके ,देखो
आज कितना शोर मचाएं हैं।

शायद ये भूल गए हम वो हैं,जिसने कितने ही
पहाड़ ज़मीन में दफनाये हैं।

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 315 Views
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