【【{{तकरार}}】】
चाँदनी की चाँद से तकरार बढ़ गयी,
तारों के बीच में दोनों की तलवार अड़ गयी.
मुद्दा होगया कसूर बेवफाई का,
समझाते समझाते रात की चाल अड़ गयी।
किस्सा न बढ़ रहा था एक बात से आगे,
चाँद की रंगत सूनसान पड़ गई।
चाँदनी ने चाँद पर इल्जाम लगाया,
तूने क्यों पड़ोसन का आँगन जगमगाया,
छोटी छोटी कहासुनी बात बढ़ गयी,
तारों के विच में दोनों की तलवार अड़ गई।
चाँद भी बेबस गुमसुम सा खड़ा था,
तारों का हुजूम भी पास खड़ा था,
चाँदनी का गुस्सा था तूफ़ां बन गया,
बस एक ही ज़िद पे सरकार अड गई।
समझाने से समझे न वो चाँद की फरियाद,
गुस्से में चाँदनी लाल पड़ गयी.
मिनतें बहुत की चाँद ने हाथ जोडकर,
चाँद की अकड़ बेहाल पड़ गयी।
धीरे धीरे चकोर भी वहाँ आ गया,
चाँदनी के सामने चाँद पर हक़ जता गया.
मुद्दा तो ये फिर और गरमा गया,
चाँदनी का पारा सूरज को भी खा गया।
देख ये मंजर अब चाँद घबरा गया,
धीरे धीरे चाँद गुटनों पर आ गया.
रहम की गुहार फिर उसने लगाई,
चाँदनी को एक रोशन अँगूठी पहनाई.
चाँदनी के तो नखरे हज़ार हो चले,
आँखों ही आँखों में वो गुर्राई।
मसला अब थोड़ा सुलझता दिख रहा,
आखिर जब पंचायत में,सूरज की एक
किरण आयी.
सब तरफ एक सनाटा छा गया,
शोर में जब सूर्य देव का आगमन आ गया.
अफरातफरी मच गई चारों ओर,
चाँदनी को भी अब डर सता गया।
गुस्सा होगया अब उसका था पानी,
खत्म होगयी सब तानतानी।
सब तरफ राहत की सांस आयी,
तारों संग फिर चाँद की बारात आयी
तारों संग फिर चाँद की बारात आयी।