【मित्र, एक चलता फिरता, हृदय】
मित्र,
एक चलता फिरता,
हृदय, द्वितीय,
कर्तव्य, अधिकार,
की भावना,
का मिश्रण,
प्रकाशक,
संकटों का,
अग्रिम,
निवारण भी,
देता संग संग,
विनोद भी,
प्रवर्त्तक सभी,
कार्यों का,
जो हितैषी है,
निन्दा भी है,
स्तुति जैसी,
सफलता की दशा में,
प्रथम वाह वाही,
उसका लक्षण,
छाया शरीर की,
कम है वह भी,
निरुत्तर करता,
शत्रु को,
समय पर,
आत्म विश्वास का,
कारण,
इच्छा शक्ति भी,
कर्म की प्रेरणा शक्ति भी,
निष्कर्ष की ध्वनि,
उत्पन्न जो करे, लक्षित,
सुयोग बनाते,
ब्रह्म विषयक,
वार्ता जो करे,
रहित हो,
हीनभावना से,
विदग्ध हो,
पूर्ण हो,
सम्पूर्ण हो,
जो बना दे,
मेरे जीवन में,
जीवन की परिभाषा के,
चित्र,
ऐसा हो मेरा,
मित्र।।
©अभिषेक पाराशर