❤️ मिलेंगे फिर किसी रोज सुबह-ए-गांव की गलियो में
❤️ मिलेंगे फिर किसी रोज सुबह-ए-गांव की गलियो में
किसी पेड़ नीचे चाय का प्याला लिए उन्ही सर्दियो में ❤️
❤️ गुफ्तगू इक बार फिर करेंगे हमारे इश्क के फसानों की
और मिल कर गले फिर जुदा हो जाएंगें कहानियों में ❤️
शिव प्रताप लोधी