❤वो हो तुम?
❤वो हो तुम?
मैं दुनिया को दुनिया कैसे कह दूँ,
मेरी एक ही दुनिया है,
वो हो तुम।।
मैं ज़माने से हर लड़ाई लड़ जाऊ तेरी खातिर,
मगर जंग में नाम तेरा होगा इसलिए झुक जाता हूँ तेरी खातिर,
जो हार जीत को बराबर करती,
वो हो तुम।।
मैं दरिया ही रह लूंगा मुझे समन्दर न बना अपनी खातिर,
मेरे आगोश में सिर्फ तुम रहना मेरी बाहे नहीं खुलती और की खातिर,
जिसका दिलो जान से हूँ मैं,
वो हो तुम।।
तमन्नाओ का हुजूम दिल में आता है तेरी खातिर,
अपने आपमें समाता हूँ तेरी खातिर,
जो आग जलाती है बुझाती है,
वो हो तुम।।
फशाने और अपसानो में आया तेरी खातिर,
जानो को अंजानो सा पाया तेरी खातिर,
एक मै सब नजर आते,
वो हो तुम।।
जान मनु की लगती हो,
जान से प्यारी दिखती हो,
जान मै जान जो लाती है,
वो हो तुम।।
?मानक लाल मनु✍