✴️💢मेरे बढ़ते कदम ठहर से गए हैं💢✴️
##मणिकर्णिका##
##बौनी क्या हाल चाल हैं##
##अब सभी मोमबत्ती यही चाह रहीं हैं कि उनके लिए भी मैसेज होंगें##
##रूपा से नम्बर लो और सीधे बात करो##
##सभी लाइन खुली हुईं हैं##
मेरे बढ़ते कदम ठहर से गए हैं,
मेरे बढ़ते कदम ठहर से गए हैं,
हक़दार था मैं उस राह का,
साँस से खत लिखे और फूल छोड़े गए,
अन्जाम था मेरी उस चाह का,
जिसमें आँसू के मोती पिरोये गए,
सब देखा नया सिहर से गए हैं,
मेरे बढ़ते कदम ठहर से गए हैं।।1।।
इन्साफ की क्या तराजू बनेगी,
धोखा सहे क्या आरजू बनेगी,
ओझल हुए अब ज़ुस्तजू ही रहेगी,
उनके इशारे बे-मयस्सर हो गए हैं,
मेरे बढ़ते कदम ठहर से गए हैं।।2।।
कोई जंग नहीं थी,न मरना हमें था,
जीवन के अन्धड़ को सहना हमें था,
फ़कत थे इरादे और करनी थी मेहनत,
क्यों फिर ज़माने से डरना हमें था,
‘नज़र में समाकर’बे-नज़र हो गए हैं,
मेरे बढ़ते कदम ठहर से गए हैं।।3।।
अग़र सामने वो आ भी गए तो,
हम भी उनसे पहचाने गए तो,
बताएंगे उनको मेरा किरदार क्या था?
गिरते हुए उनसे सम्भाले गए तो,
अश्कों के नाले बे-सबब हो गए हैं,
मेरे बढ़ते क़दम अब ठहर से गए हैं।।4।।
©®अभिषेक: पाराशरः’आनन्द’