✍️✍️चुभन✍️✍️
✍️✍️चुभन✍️✍️
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उनके दरवाज़े एक दफा खुल गए थे..!
हम सर उठाके चलने में जो माहिर थे
हमारे दरवाज़े तो सदा के लिए खुले थे
वो सर झुकाने के लिए कहाँ मंजूर थे..!
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✍️”अशांत”शेखर✍️
08/07/2022
✍️✍️चुभन✍️✍️
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उनके दरवाज़े एक दफा खुल गए थे..!
हम सर उठाके चलने में जो माहिर थे
हमारे दरवाज़े तो सदा के लिए खुले थे
वो सर झुकाने के लिए कहाँ मंजूर थे..!
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✍️”अशांत”शेखर✍️
08/07/2022