✍️वो इंसा ही क्या ✍️
वो दरिया ही क्या जो किसी की प्यास ना बुझा सके,
वो दीपक ही क्या जो अंधकार ना मिटा सके,
वो कश्ती ही क्या जो साहिल से ना मिला सके,
वो रास्ता ही क्या जो मंज़िल तक ना पहुँचा सके,
ना जाने क्यों लोग समझते नहीं इस बात को,
वो इंसा ही क्या जो इंसा के काम ना आ सके।
✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी