✍️’रामराज्य’
प्रतिवर्ष मेरा दहन करने
से भी आप अपने भीतर
की बुराई को अब तक
जला नहीं पा रहे हो
ये आपकी हार,नाकामी
या फिर कमजोरी मानो
आप अपने ही आप पर
विजय प्राप्त नहीं कर पा रहे हो
ये और बात है कि तुम्हारी
अनंतकाल की परंपरा
तुम्हे अखंडित रखनी है
इसीलिये तुम्हारे अंदर की
बुराई भी तुम्हे जिंदा रखनी है
मैं तो यूँही जलते रहता हूँ
और तुम्हारे अंदर की बुराई
को प्रतिदिन बढ़ता देखकर
तुमसे ही हारे हुए श्रीरामजी के
चिंतायुक्त चेहरे को निहारते रहता हूँ
आज फिर राम के नक़ाब में
हजारो रावण अंदर पाले हुए
मुझे दहन करेंगे एक अच्छे
‘रामराज्य’ के निर्माण हेतु…!
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©✍️’अशांत’ शेखर
05/10/2022