✍️मैं परिंदा…!✍️
✍️✍️ मैं परिंदा…!✍️✍️
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वक़्त के इस हालात का हूँ मैं परिंदा ।
फिर भी उड़ने का रखता हूँ मैं इरादा ।।
उलझा हूँ मैं,जो तेरा बिछाया है जाल ।
गुमान मत रख,निकलूंगा मैं हर हाल ।।
तू बांध ना पाएगा मेरे परो के हौसले ।
ऊँचे आसमान में भी बनायेंगे घोंसले ।।
अभी कारवाँ बनाने का हुनर है जिंदा ।
भीड़ से नहीं वास्ता मेरे साथी है चुनिंदा ।।
कायर होते है वो,जो हालात पे है शर्मिंदा ।
है साहस,लांघ जाऊँगा रास्ते की विपदा ।।
मैंने लड़ने का बदला है वो तरीका पुराना ।
देख कल मेरे जीत का यहाँ गूंजेगा तराना ।।
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✍️”अशांत”शेखर✍️
14/06/2022