✍️मैं कुदरत का बीज हूँ✍️
✍️मैं कुदरत का बीज हूँ✍️
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मैं इसी कुदरत का बीज हूँ
तेज धारा से बह नही सकता
मुझे ज्यादा जल से सिंचोगे
तो तरुवर विशाल बन जाऊँगा
वो आदम है मुझ पे खंजर
चलाने की साजिश कर रहा
सोच मैं इसी मिट्टी का खून हूँ
मरकर जर्रे जर्रे में बस जाऊँगा
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©✍️’अशांत’ शेखर✍️
09/09/2022