✍️मैं एक मजदुर हूँ✍️
✍️मैं एक मजदुर हूँ✍️
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मैं एक मजदुर हूँ
मेरे मजबुत हातो ने
खूबसूरत शहर की दीवारें सजाई ।
मेरे ताकतवर बाहों ने
कारखानों की धुँवा फूंकती
ऊँची मीनारे आसमान में पहुंचाई ।
मेरी जहा तक नजर दौड़ी
वहा तक मैंने गांव शहर के रास्ते जोड़े।
मैंने अपने पसीने से लोहा पिघलाकर
पानी पे चलनेवाले जहाज किये खड़े।
मेरे गगन को छूने की अभिलाषा से
हर दिशा में महाकाय हवाईजहाज है उड़े।
मैं एक मजदुर हूँ
मेरी गोल आँखों के ख़्वाबो ने
धरती की गतिमानता
बढ़ानेवाला एक पहियाँ बनाया।
दुनियां बिना रुके बिना थके चहल रही है।
ये इंसान के अद्भुत क्रांति की पहल रही है।
मैंने अपने दिमाग की कोशिकाओं से
इस जग की अजस्त्र यंत्रसामग्री बनायीं
और धरा के इँसान ने चाँद के माथे को चूमा है।
मैं एक मजदुर हूँ
मुझे कभी माफ मत करना
मेरी एक गलती की सजा इंसान को मिली है
मैंने हथियार बनाये ।
मैंने गोलाबारूद बनाये।
मैंने दूर से सरहद को मार
गिरानेवाले क्षेपनास्त्र बनाये।
मैंने इंसान के अस्तित्व को
मिटानेवाले अणुबम बनाये।
मैं एक मजदुर हूँ
मैंने धधकती अंगारों में अपना खून जलाया है।
मेरे भूखे पेट को किसी दिन सिर्फ पानी पिलाया है।
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✍️”अशांत”शेखर✍️
25/06/2022