✍️मेरी कलम…✍️
✍️मेरी कलम…✍️
…………………………………………………….//
आज मेरी कलम
मुझसे खुद खफ़ा है ।
कुछ कहने के कोशिश
में वो कही दफ़ा है ।
हरेक लफ्ज़ो का
वो मांग रही है हिसाब।
पूछती है मेरे सियाही के
दर्द की क्यूँ नहीं क़िताब ?
मैंने हँसकर कहाँ तुझे
आँखों की अश्क़ में बसाया।
तेरे मोती से लफ्ज़ को
सोने के दिल में है सजाया।
ऐसे रूठ मत मुझसे
अभी अधूरी है कहानी ।
दुनियां हिला दे ऐसी
तूने बोली कहाँ जबानी..!
…………………………………………………….//
✍️”अशांत”शेखर✍️
20/06/2022