✍️मेरा साया छूकर गया✍️
✍️मेरा साया छूकर गया✍️
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मेरे गिरेबाँ पर जब वो उंगली उठाकर गया।
मेरा साया भी उसके हाथों को छूकर गया।
अपनी गलती का उसे कोई अफ़सोस नहीं..
वो आँखों में कुछ गहरा राज छुपा कर गया ।
परदेस में तो तेरा चाँद मुस्कुरा रहाँ होगा…
मेरा नन्हा सितारा आफ़ताब मांग कर गया।
दिल की बात का इज़हार जुबाँ नहीं करती
मगर आँखो का मंज़र सब इक़रार कर गया ।
बचा कर थे कुछ ख़्वाब निसार जिंदगी पे
एक ख़ाक हुवा,क्या मेरी लेकर जागीर गया ?
बातें अच्छी थीं यकीं नहीं आता वो सच्ची थी ?
उसके सफ़ेद झूठ को तो मैं मारके ठोकर गया ।
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✍️”अशांत”शेखर✍️