✍️बहन भाई की सलामती चाहती है✍️
✍️बहन भाई की सलामती चाहती है✍️
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स्वरक्षा के कच्चे धागे में
रिश्तों की मजबूती चाहती है
एक बहन अपने भाई के
भविष्य की सलामती चाहती है
भाई पर मुश्किले आन पड़े
वो बहन ही है जिसका मन
तिल तिल टूटता है
ये वो ज़मी है जहाँ भाई के लिये
बहन का प्यार कभी न मिटता है
माँ बाप के फैसले चाहे भाई के
हक़ में हो बहन ही अपने खुशियों
का बलिदान देने सदा तत्पर रहती है
और जायदाद की बात निकले तो
वो भाई के हाथ में बंधे धागे अपने
आप कच्चे होने का प्रमाण दे जाते है
फिर भी हर बहन हर भाई के
हाथों में राखी बांध कर अपनी नहीं
पर पुरखों की जायदाद की रक्षा के
लिए बिना हक़ के मन्नते मांगती है
एक बहन अपने भाई के
भविष्य की सलामती चाहती है
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©✍️’अशांत’शेखर✍️
11/08/2022