✍️चंद सांसो का सफर…✍️
✍️चंद सांसो का सफर…✍️
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सारी उम्र कड़ी धुप ने जिस्म को तपाया है ।
फिर भी मेरी जिद्द ने ख़्वाबो को तराशा है ।।
यकींन है के अब भी कारवाँ बना लेंगे हम ।
मेरा हुनर बोलता है के मंझिल छू लेंगे हम ।।
मौसमो के साजिश में कई दफ़ा बिखरा हूँ ।
वक़्त के थपेड़ों से मैं रोशनी सा निखरा हूँ ।।
चैन से न सोने दूँगा अभी जागे मेरे अरमां है।
नींदों को मैं कह दूँगा रात मेरे लिये मेहमाँ है।।
अब ना देख आँखों में मेरे मायूसी का मंझर।
उम्मीदों को बोयेंगे हम अगर ज़मी हो बंझर।।
तू डरा मत ऐ जिंदगी उठा लूँगा मैं बोझ तेरा।
चंद सांसो के सफर में निकलेगा ना दम मेरा।।
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©✍️’अशांत’ शेखर✍️
14/08/2022