Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Oct 2022 · 1 min read

✍️खामोश लबों को ✍️

खामोश लबों को खामोश ही रहने दो,
युँ सड़क पे करो कोई इज़हार नहीं,
इक बात याद रखना हमेशा,
सरेआम तमाशा होता है प्यार नहीं।

✍️वैष्णवी गुप्ता (vaishu)
कौशांबी

5 Likes · 4 Comments · 353 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रक्त संबंध
रक्त संबंध
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बलबीर
बलबीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
Buddha Prakash
"नहीं देखने हैं"
Dr. Kishan tandon kranti
*मर्यादा*
*मर्यादा*
Harminder Kaur
जीवन में जागरूकता कैसे लाएँ। - रविकेश झा
जीवन में जागरूकता कैसे लाएँ। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
3770.💐 *पूर्णिका* 💐
3770.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Being liked and loved is a privilege,
Being liked and loved is a privilege,
Chitra Bisht
किसी मुस्क़ान की ख़ातिर ज़माना भूल जाते हैं
किसी मुस्क़ान की ख़ातिर ज़माना भूल जाते हैं
आर.एस. 'प्रीतम'
छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना
छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना
gurudeenverma198
ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी को ढूँढते हुए जो ज़िन्दगी कट गई,
ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी को ढूँढते हुए जो ज़िन्दगी कट गई,
Vedkanti bhaskar
हे गर्भवती !
हे गर्भवती !
Akash Yadav
महाकवि विद्यापति आ महारानी लखिमा देवी: प्रेम प्रसंग!
महाकवि विद्यापति आ महारानी लखिमा देवी: प्रेम प्रसंग!
Acharya Rama Nand Mandal
संघर्षशीलता की दरकार है।
संघर्षशीलता की दरकार है।
Manisha Manjari
دل کا
دل کا
Dr fauzia Naseem shad
"बहनों के संग बीता बचपन"
Ekta chitrangini
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
बुंदेली साहित्य- राना लिधौरी के दोहे
बुंदेली साहित्य- राना लिधौरी के दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मैं सोच रही थी...!!
मैं सोच रही थी...!!
Rachana
*
*"मां चंद्रघंटा"*
Shashi kala vyas
मन  बंजारा  लौट  चला  है, देखी  दुनियादारी।
मन बंजारा लौट चला है, देखी दुनियादारी।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
#भूली बिसरी यादे
#भूली बिसरी यादे
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
बधईया बाजे नंद बाबा घर में
बधईया बाजे नंद बाबा घर में
singh kunwar sarvendra vikram
*भूल कर इसकी मीठी बातों में मत आना*
*भूल कर इसकी मीठी बातों में मत आना*
sudhir kumar
आज़ादी के दीवाने
आज़ादी के दीवाने
करन ''केसरा''
संभव है तुम्हें मेरे जैसे अनेकों लोग मिल जायें, पर ध्यान रहे
संभव है तुम्हें मेरे जैसे अनेकों लोग मिल जायें, पर ध्यान रहे
इशरत हिदायत ख़ान
..
..
*प्रणय*
लम्बे सफ़र पर चलते-चलते ना जाने...
लम्बे सफ़र पर चलते-चलते ना जाने...
Ajit Kumar "Karn"
*वधू (बाल कविता)*
*वधू (बाल कविता)*
Ravi Prakash
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
Loading...