✍️कैद ✍️
दम घुट रहा है चारदीवारी मे मेरा,
कहीँ तो बाहर निकलना है मुझे,
नहीं रहना है कैद में,
बेखौफ़ परिंदा बन उड़ना है मुझे।
✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी
दम घुट रहा है चारदीवारी मे मेरा,
कहीँ तो बाहर निकलना है मुझे,
नहीं रहना है कैद में,
बेखौफ़ परिंदा बन उड़ना है मुझे।
✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी